Wednesday, October 31, 2018

ढूंढा, पाया

Facebook की wall में, Mobile phone के scroll में, शहर के trendy mall में,
ढूंढा मैंने सुकून.
Beach के walk lone में, तालाब में फेंके stone में, No wifi zone में,
पाया मैंने सुकून.

Tinder की swipe right में, pub की disco night में, love at first sight में,
ढूंढा मैंने प्यार.
Kishore के गीत में, bike की back seat में, college के alumni meet में,
पाया मैंने प्यार.

एक ऊंची पगार में, latest model की car में, brand endorsed by top star में,
ढूंढी मैंने ख़ुशी.
Healthy lifestyle में, फुरसत की उस while में, अपनों की smile में,
पायी मैने ख़ुशी.

© footprints-on-sand.blogspot.com

Wednesday, August 15, 2018

तो आज़ाद हो तुम

Traffic signal में गाड़ी की खिड़की knock कर,
कोई plastic का तिरंगा लहराए,
तो आज़ाद हो तुम

अखबार में नारंगी 'freedom sale' ads के बीच,
दिन की ख़ास खबरें खो जाए,
तो आज़ाद हो तुम

Loudspeaker में बजता हुआ 'ए मेरे वतन के लोगों',
छुट्टी की सुबह नींद से जगाये,
तो आज़ाद हो तुम

Oblivion से निकाला हुआ 'seldom-used' कुरता,
Instagram और Facebook के selfies में छा जाए,
तो आज़ाद हो तुम

Set Max में 'बॉर्डर', Zee Cinema में 'तिरंगा',
और NDTV Goodtimes में 'Jai Hind with Rocky & Mayur' दिखाए,
तो आज़ाद हो तुम

Phone check करने पर,
WhatsApp में हर पल '50 unread messages' टपक जाए,
तो आज़ाद हो तुम

लाल किला में खड़े होकर कोई एक घंटा,
देश को, पिछली Government की नाकामयाबियां गिनवाए,
तो आज़ाद हो तुम 


[*inspired by Toh Zinda Ho Tum from Zindagi Na Milegi Dobara]

Wednesday, March 7, 2018

Delhi to Pune

On this day, 10 years ago, I began my stint in Pune. Oscillating between home-sickness and love-hate relationship with this city, my language, my food habits, my likes have transformed. I have transformed. This poem lists snippets of my journey...
------------

छोले कुलचे को miss करते हुए, पाव भाजी की plate निपटाता है.
5 star hotels की लड़ियाँ लगी है, फिर भी Goodluck Cafe ही जाता है.
समोसा हो, कीमा हो, या हो omelette... सब कुछ पाव के साथ खाता है.

आलू जिसका favorite हुआ करता था कभी, आजकल वह बटाटे से इश्क़ लड़ाता है.
प्याज़ पकोड़े को चाय के साथ खाने वाला, बारिश में कांदा भज्जी नौश फरमाता  है.
कूड़े को plastic में बांधके फेंकता था जो, गीला कचरा सूखे से अलग हटाता है.

Sweaters और muffler तो लाया था संग अपने. साल में एक बार उन्हें धुप लगाता है.
"पहले यहाँ भी काफी सर्दी पढ़ती थी," बोलके अपने leather jacket को सहलाता है.
Truck में लादकर अपनी Bullet लाया था इस शहर में, weekends को Royal Enfield चलाता है.

पहले भी बेझिझक जीता था वो, लेकिन अब बिंदास ज़िन्दगी बिताता है.
Sus Road को अपना address बताने से शर्माने वाला, हस्सके अपने Bhosari का पता लिखवाता है.
कहता था सबको, "भाई से पंगा मत लेना." अब भाई दूसरो के लफड़े सुलझाता है.

कबाड़ी वाले से मिलके अरसा हो गया, क्यूंकि रद्दी वाला पुराने paper उठाता है.
हर महीने Goa का plan बनाके, weekend Mahabaleshwar में बिताता है.
"जहाँ beer मिले, वही जगह है Goa," ये सोचके खुद का पीठ थपथपाता है.

जब बड़े शहर की शोर-गुल miss करे, तब Bombay की तरफ कदम बढ़ाता है.
और जब  this शोर-गुल gets to his nerves, shutter down करके दोपहर को सो जाता है.
दिल्ली का लौंडा हुआ करता था कभी, आज शान से पुणेरी कहलाता है.