Monday, March 2, 2015

पैमाने ढूंढ़ता हु...

वजह नहीं मिलती यार से मिलने की,
तो बहाने ढूंढ़ता हु।
साथ बैठके जो खनकाए थे,
वो पैमाने ढूंढ़ता हु।

ज़िन्दगी को उँगलियों पे नचाते थे,
दूरियों को पल में मिटाते थे।
उन फुरसत भरे लम्हों के,
आज ख़ज़ाने ढूंढ़ता हु।
… साथ बैठके जो खनकाए थे,
वो पैमाने ढूंढ़ता हु।

Nirula's का बड़ा bill, टूटा हुआ दिल,
Exams में 40% लाने की मुश्किल।
इन problems को जहा fix करते थे,
वो कारखाने ढूंढ़ता हु।
… साथ बैठके जो खनकाए थे,
वो पैमाने ढूंढ़ता हु।

Birthday bumps के दर्द से बचने के लिए,
Extra jeans पेहेनके college जाना।
आज Whatsapp और Facebook के wishes में,
लम्हें वो बचकाने ढूंढ़ता हु।
… साथ बैठके जो खनकाए थे,
वो पैमाने ढूंढ़ता हु।

मौका नहीं मिलता यार से मिलने का,
तो पुराने अफ़साने ढूंढ़ता हु।
साथ बैठके जो खनकाए थे,
वो पैमाने ढूंढ़ता हु।