Thursday, November 7, 2013

वही टाइम, वही ट्रेन, वही रूट और वही सारे हमसफ़र....

वही टाइम, वही ट्रेन, वही रूट और वही सारे हमसफ़र....

...लेकिन आज पहली बार मेरे बगल में बैठे अंकल से मैने थोड़ी बातें की.
... पहली बार स्कूल के उन बच्चों की अन्ताक्षरी मुझे शोर सी नहीं लगी.
(और शायद उन के साथ मैने मन ही मन थोड़ा गुनगुनाया भी)
...पहली बार एक अजनबी परिवार के साथ ताश के दो हाथ खेले.
...पहली बार चिल्लाया नहीं जब उस भिखारी ने मेरा घुटना थपथपाते हुए एक रूपया माँगा.
...पहली बार खिडकी से बाहर झाँका, और जाना की उस कंक्रीट जंगल के अलावा भी एक और पहलु है इस शहर का.
...पहली बार एक नए मुझसे मिला मैं, और उसके साथ काफी समय बिताया!

क्यूंकि आज जल्दबाजी में मेरा स्मार्ट फ़ोन घर में भूल आया हूँ मैं...

(this is my 1st attempt to write in Hindi after primary school, so please excuse mistakes in grammar and spellings)